tag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post3566487457293049217..comments2023-06-07T05:50:29.305-07:00Comments on बेदखल की डायरी: प्यार की भाषा कहां खो गई हैमनीषा पांडेhttp://www.blogger.com/profile/01771275949371202944noreply@blogger.comBlogger54125tag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-26980621950623931622013-02-16T20:00:20.812-08:002013-02-16T20:00:20.812-08:00बहुत ही अच्छी पोस्ट मनीषा जी, आपके लेख हाल में ही ...बहुत ही अच्छी पोस्ट मनीषा जी, आपके लेख हाल में ही पढ़ने शुरू किए हैं। बहुत ज्वलंत मुद्दों पर लिखती हैं आप। मुझे भी ये सवाल बहुत परेशान करता है की आख़िर हम इंसान प्रेम-प्रदर्शन में इतना हिचकते क्यूँ हैं। मुझे भी अभी तक जाने कितने लोगों से प्रेम हुआ, कभी- कभी बिना शब्दों का सहारा लिए अपने हाव-भाव से प्रदर्शित भी कर दिया। पर हालिया कुछ ऐसा हुआ कि मन उदास हो गया। मैंने एक शादीशुदा युवक से ये कह दिया कि “आप मुझे बहुत अच्छे लगते हैं” बस जनाब ने तो मुझसे नाता ही तोड़ लिया। जनाब न मुझे तुरंत फुरत में बहन का टाइटल दे डाला। <br />लेकिन इस घटना के अतिरिक्त कुछ ऐसे लोग भी मिले जिन्होंने मेरे सहज प्रेम को उतनी ही सहजता से लिया और वैसा ही प्रेम बदले में मुझे दिया जैसे प्रेम मैं उन्हें करती हूँ।Shehnazhttps://www.blogger.com/profile/00251784720524518734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-74831140770144870702011-01-05T21:48:50.553-08:002011-01-05T21:48:50.553-08:00Love you for writing this post.
किसी बहुत अज़ीज़ स...Love you for writing this post.<br />किसी बहुत अज़ीज़ से मिले तो दिल वाकई सोचता बाद में है और भाग कर गले पहले लगती हूँ...फिर अक्सर अचकचा भी जाती हूँ जब देखती हूँ कि आसपास के लोग घूर रहे हैं.<br />कल्चर का मामला है, हमारे यहाँ प्यार को हमेशा छुपाने की चीज़ बताई गयी है. तुम्हारी ये पोस्ट जैसे एकदम दिल की बात कह गयी. बहुत अच्छा लगा पढ़ के. पिछली बार पढ़ी थी तो कमेन्ट नहीं किया था...आज बिना किये रह नहीं पायी.Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-74295580641414444992010-10-06T07:57:24.913-07:002010-10-06T07:57:24.913-07:00मनीषाजी, मैं समझ रहा हूँ कि देवतालेजी के सम्बन्ध म...मनीषाजी, मैं समझ रहा हूँ कि देवतालेजी के सम्बन्ध में आपकी चर्चा किससे हुई होगी..बहुत भोला लड़का है...बहुत संवेदनशील, अपने सरोकारों के प्रति बेहद ईमानदार,..वैसे आपने बहुत ईमानदारी से, दिल से पोस्ट लिखी है लेकिन आपसे एक पुस्तक की चर्चा करना चाहूँगा जो मूल रूप से अंग्रेजी में है, उसका हिंदी अनुवाद प्रेम की पांच भाषाएँ के नाम से उपलब्ध है..पांच भाषाओँ में एक है स्पर्श...एक है सकारात्मक टिप्पणी ..जिसकी प्राथमिक भाषा स्पर्श होती है वह अन्य से भी उसी भाषा की अपेक्षा करता है जो स्वाभाविक है और जो सकारात्मक शब्दों को बहुत महत्व देते हैं वे शब्दों से अभिव्यक्ति को ज्यादा पसंद करते हैं बजाय स्पर्श के...जरुरत है एक - दूसरे की भाषा समझाने की..न कि कोई पूर्वाग्रह पालने की ..वैसे एक sms आया था जो लिख रहा हूँ what is love..love is when mom comes and say "Beta,I love you...love is when we come back from work and papa says "Beta ,लेट होने वाला था तो कॉल कर देता"love is when Bhabhi says "ओये हीरो ,कोई लड़की-वडकी पटी कि नहीं "love is when sister says"भाई मेरी शादी के बाद मुझसे झगडा कौन करेगा" love is when we are moodless and brother says "चल कहीं घूम के आते हैं.."महेश शर्मा MAHESH SHARMAhttps://www.blogger.com/profile/13083881642157524554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-74222071030939979022010-06-11T03:09:11.785-07:002010-06-11T03:09:11.785-07:00aaj hi aapke blog tak pahucha.... aakhe bhig gayi ...aaj hi aapke blog tak pahucha.... aakhe bhig gayi ......shaandar aur majboot bhasha....Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13247063924203213441noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-67184391950509087462010-05-29T12:57:54.553-07:002010-05-29T12:57:54.553-07:00प्यार से लबालब पोस्ट पढ़कर हमें लगा कि प्रेम जताने...प्यार से लबालब पोस्ट पढ़कर हमें लगा कि प्रेम जताने में देर नहीं करनी चाहिए..तुम्हे पढ़ना ऐसे लगता है जैसे नसों में खून तेज़ी से दौडने लगता हो.अब से सोच लिया है कि प्रेम जताने में कोताही न बरतेगे...खूब प्यार और आशीर्वादमीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-35275246731031206112010-04-13T11:04:09.082-07:002010-04-13T11:04:09.082-07:00"मैं संसार की भाषा को शर्मनाक और त्याज्य सम..."मैं संसार की भाषा को शर्मनाक और त्याज्य समझती हूं। आपने ऐसी दुनिया बनाई है कि जिसके लिए आपको शर्म से डूब जाना चाहिए। मैं अपनी भाषा खुद रच रही हूं। हर उस बंधन को गटर में झोंकते हुए, जिसे आपने मोर मुकुट की तरह मेरे माथे पर सजाने की हमेशा कोशिश की है। मैं अपनी भाषा हवा से सीखती हूं, जो मौका मिलते ही आकर मेरे गालों पर बैठ जाती है और मेरे बाल हिलाने लगती है। उन फूलों से, जो मोहब्बत से भरकर झुक जाते हैं। उस पहाड़ी नदी से, जो अपनी राह में आने वाले हर खुरदरी चट्टान को प्रेम के स्पर्शों से मुलायम कर देती है।"<br /><br />इन वाक्यों को कॉपी-पेस्ट करने का उद्देशय सिर्फ यह बताना है कि इतनी सुन्दर कविता लिखने वाली लड़की को यह बताने की ज़रूरत नहीं कि वह इस दुनिया से क्यों प्यार करती है ।इसे पढ़कर मुझे नेरूदा की प्रेम कवितायें याद आईं । <br />मैं भी देवताले जी से बहुत प्यार करता हूँ उनसे बात करता हूँ उन्हे एस एम एस भेजता हूँ और गले मिलता हूँ । विगत दिनो जब वे रेल से दुर्ग होते हुए गुजरे तो मैं स्टेशन पर उनसे मिलने गया उन्होने 10 मिनट में 3 बार मुझे गले लगाया । यह मेरा और देवताले जी का रेकॉर्ड है अभी तक किसीने इसे तोड़ा नहीं है । (वैसे भी "मेरा और देवताले जी" का है तो कौन तोड़ेगा । )<br />अपनो के प्यार के प्रति आपका यह विश्वास बना रहे यह दुआ ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-33402667658907892042010-04-01T05:51:38.732-07:002010-04-01T05:51:38.732-07:00Koi haath bhi na milayega jo gale miloge tapak se
...Koi haath bhi na milayega jo gale miloge tapak se<br />Ye naye mijaj ki duniya hai...jara fasle se mila karo.<br />Achha Lekh Manish ji....aap ko koi bana dekhe ...bina jane bhi pyaar kar sakta hai.divya pandeyhttps://www.blogger.com/profile/10717820855809843706noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-32670230235783130902010-04-01T03:34:24.071-07:002010-04-01T03:34:24.071-07:00मनीषा जी. बिल्कुल दिल तक पहुंचने वाला आलेख है यह. ...मनीषा जी. बिल्कुल दिल तक पहुंचने वाला आलेख है यह. आंखें भर आईं. पापा की याद आ गई. उनके जीतेजी मैं कभी भी उनसे नहीं कह सका.कि Papa, I love you". जब उन्हें लकवे क अटैक पड़ा, और मैं क़रीब एक हफ़्ते बाद बनारस पहुंच पाया. तो मैं उन्हें देख कर आंखें भर रहा था, और वे मुझे देख कर रो रहे थे. मैंने उनसे लिपटना चाहा, पर अनजाने संकोचवश बस पास बैठा रहा. फिर अचानक ही उनकी पीठ पर हाथ फेरने लगा, कहा, ’पापा मत रोइये, ठीक हो जाएंगे, सब कुछ ठीक हो जाएगा’. उन्होंने बच्चों की तरह सिर हिलाया और मेरे सीने से लग गए. मैं तब भी नहीं कह पाया 'Papa, I love you".sudeshhttps://www.blogger.com/profile/15018522576819723375noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-34715879893320718922010-04-01T03:34:24.070-07:002010-04-01T03:34:24.070-07:00मनीषा जी. बिल्कुल दिल तक पहुंचने वाला आलेख है यह. ...मनीषा जी. बिल्कुल दिल तक पहुंचने वाला आलेख है यह. आंखें भर आईं. पापा की याद आ गई. उनके जीतेजी मैं कभी भी उनसे नहीं कह सका.कि Papa, I love you". जब उन्हें लकवे क अटैक पड़ा, और मैं क़रीब एक हफ़्ते बाद बनारस पहुंच पाया. तो मैं उन्हें देख कर आंखें भर रहा था, और वे मुझे देख कर रो रहे थे. मैंने उनसे लिपटना चाहा, पर अनजाने संकोचवश बस पास बैठा रहा. फिर अचानक ही उनकी पीठ पर हाथ फेरने लगा, कहा, ’पापा मत रोइये, ठीक हो जाएंगे, सब कुछ ठीक हो जाएगा’. उन्होंने बच्चों की तरह सिर हिलाया और मेरे सीने से लग गए. मैं तब भी नहीं कह पाया 'Papa, I love you".sudeshhttps://www.blogger.com/profile/15018522576819723375noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-12394145247995903972010-03-31T23:10:49.862-07:002010-03-31T23:10:49.862-07:00पढ़कर समझ आया
कि मुन्नाभाई एमबीबीएस क्यों हिट ह...पढ़कर समझ आया<br /><br />कि मुन्नाभाई एमबीबीएस क्यों हिट हुई<br /><br />और संजय दत्त<br /><br />या उनक निर्माता/निर्देशक को<br /><br />यह आइडिया कहां से आया<br /><br />जरूर आपने ही बतलाया होगा।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-35905613737884888242010-03-31T11:53:17.206-07:002010-03-31T11:53:17.206-07:00और हां, तुम मुझे अब तक 'नालायक' नहीं मानती...और हां, तुम मुझे अब तक 'नालायक' नहीं मानती, शायद यह भी प्रेम की ही एक अभिव्यक्ति है।Unknownhttps://www.blogger.com/profile/05295101003563194810noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-9878880790494749672010-03-31T01:12:01.195-07:002010-03-31T01:12:01.195-07:00मनीषा, इतना अच्छा लेख लिखकर अन्त में प्रेम को आयु ...मनीषा, इतना अच्छा लेख लिखकर अन्त में प्रेम को आयु सीमा में क्यों बाँध दिया? प्रेम को नहीं तो उसकी अभिव्यक्ति को तो बाँध ही दिया। लगता है कि कोई फाँसी की सजा सुना गया हो। वह भी कोई जाति या खाप पंचायत वाला नहीं प्यार करने वाली मनीषा। ऐसा अन्याय तो मत करो।<br />घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-36512033499671685322010-03-31T01:12:01.194-07:002010-03-31T01:12:01.194-07:00मनीषा, इतना अच्छा लेख लिखकर अन्त में प्रेम को आयु ...मनीषा, इतना अच्छा लेख लिखकर अन्त में प्रेम को आयु सीमा में क्यों बाँध दिया? प्रेम को नहीं तो उसकी अभिव्यक्ति को तो बाँध ही दिया। लगता है कि कोई फाँसी की सजा सुना गया हो। वह भी कोई जाति या खाप पंचायत वाला नहीं, प्यार करने वाली मनीषा। एसा अन्याय तो मत करो।<br />घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-49758189455148102812010-03-30T22:55:41.528-07:002010-03-30T22:55:41.528-07:00नहीं कह सकता मैं कुछ कभी अपनी मम्मी और पापा को बाब...नहीं कह सकता मैं कुछ कभी अपनी मम्मी और पापा को बाबा को नानी नाना को,और भी बहुत से दोस्तों को कभी उनके प्यार करने के लिए thanxs नहीं सका,कहने कि हिम्मत भी नहीं है,उस दोस्त को एक बार कहने कि कोशी कि थी तुम मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो पलट के एक चटा मरा और बोला ये चीज कहने कि नहीं होती दोस्त...हर किसी का प्यार करने और जताने का अलग अंदाज़ है कोई किसी भी तरह प्यार करे या जताए उसपे कमेंट्स करने का कम से कम मैं तो हक नहीं रखता...आपकी पोस्ट अच्छी है बेहतरीन है,आपका ब्लॉग उन कुछ ब्लॉगों में से है जिन्हें माने अपने reder से जोड़ रखा है आपकी पिछली दो पोस्टें भी बेहतरीन थी...शुक्रिया इतने अच्छे पोस्ट के लिए..anjule shyamhttps://www.blogger.com/profile/01568560988024144863noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-29168584346549309732010-03-30T21:07:41.063-07:002010-03-30T21:07:41.063-07:00manisha ji tippani karna chahta tha par meri tippa...manisha ji tippani karna chahta tha par meri tippani thoda lambi ho gayee aur yanha par paste nahin kar paya pata nahin kya technical problem hai. majburan apne blog par prakashit kar di hai. padh len.VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-3270348618866963792010-03-30T15:01:46.234-07:002010-03-30T15:01:46.234-07:00यही सहज है।
पर सहज होना कठिन है।
फिर भी बहुत कर...यही सहज है। <br />पर सहज होना कठिन है। <br /><br />फिर भी बहुत कर <br />हम लोग किन्ही जकड़नों को तोड़ते हैं। <br />हर जकड़न टूटे <br />यह ज़रूरी भी नहीं। <br /><br />तुम ऐसी ही रहो<br />या दुनिया चाहे वैसी<br />रहोगी अच्छी ही।<br />यही हमें पसंद है। <br /><br />...और इसके बाद मनीषा के नाम का जयकारा देर तक सन्नाटे में गूंजता रहा।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-13871074206119029252010-03-30T12:14:50.086-07:002010-03-30T12:14:50.086-07:00सहमत हूं आपसे।सहमत हूं आपसे।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-76366251326301167212010-03-30T12:14:50.085-07:002010-03-30T12:14:50.085-07:00सहमत हूं आपसे।सहमत हूं आपसे।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-91890187589475460772010-03-30T11:42:40.378-07:002010-03-30T11:42:40.378-07:00आपकी शैली से अभिव्यक्ति की ईमानदारी झलकती है मनीषा...आपकी शैली से अभिव्यक्ति की ईमानदारी झलकती है मनीषा जी ! प्रभावित हूँ ! शुभकामनायें !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-26188705330500558382010-03-30T10:59:01.881-07:002010-03-30T10:59:01.881-07:00अपुन चले नालायक से लायक बनने और आई लव यू का अलख जग...अपुन चले नालायक से लायक बनने और आई लव यू का अलख जगाने।<br /><br />तुमने 65 साल की उमर फ़िक्स कर दी है जिसके बाद सूखा पड़ने वाला है तो मुझे थोड़ी रेन हार्वेस्टिंग करनी पड़ेगी, चलो सब भाई लोग मुझे बोलो 'आई लव यू' टेम बहुत कम है, फ़िर मौका नहीं मिलेगा…।:)Anita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-32027100536923512452010-03-30T10:51:23.305-07:002010-03-30T10:51:23.305-07:00बचपन से सुनता आया हूं कि संगति का असर होता है देर ...<i> <b> बचपन से सुनता आया हूं कि संगति का असर होता है देर सवेर ही सही ....रोज आकर पढता हूं ..जाने कब हमारी कलम के भी दांत निकल आएं एकदम धारदान नोक वाले ....आप अच्छा करती हैं कि नेट पर लिखती हैं ..कागजों पर तो लेखनी सब खुरच डालती होगी ...लिखिए लिखिए किसी दिन हम भी ............बहुत बहुत शुभकामनाएं ..आप जैसे ब्लोग्गर्स की सक्रियता ..हिंदी ब्लोग्गिंग में आ रहे भटकाव को बचा ले जाते हैं </b> </i><br /><a href="http://www.google.com/profiles/ajaykumarjha1973#about" rel="nofollow"> अजय कुमार झा </a>अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-17749810400424139362010-03-30T09:54:21.427-07:002010-03-30T09:54:21.427-07:00यह सब का प्रिय विषय है,सब ने सब कुछ कह दिया है.बात...यह सब का प्रिय विषय है,सब ने सब कुछ कह दिया है.बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी..डिम्पल मल्होत्राhttps://www.blogger.com/profile/07224725278715403648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-11029819841125092812010-03-30T08:13:58.967-07:002010-03-30T08:13:58.967-07:00मणि,
प्रेम की कोई भाषा अब तक विकसित नहीं हो पाई ह...मणि,<br /><br />प्रेम की कोई भाषा अब तक विकसित नहीं हो पाई है और यह अच्छा भी है। कोई कैसे अपने प्रेम को अभिव्यक्त करता, करती है यह उस पर ही निर्भर होता है। तुम या मेरे जैसे लोगों के लिए शरीर प्रेम की अभिव्यक्ति का माध्यम है इसलिए हमें किसी बेहद अपने को गले लगाते हुए कभी कोई संकोच नहीं होता। लेकिन कई हैं जो बिना कुछ कहे, सब कुछ कह जाते हैं। कहते हैं- 'होता है राज-ए-इश्क-ओ-मोहब्बत इन्हीं से फाश, आंखें जुबां नहीं हैं मगर बे-जुबां नहीं।'<br /> अपनी 'भाषा' के जरिए प्रेम की अभिव्यक्ति अपने लिए ठीक है, लेकिन सब इसी तरह से बोलने लगेंगे तो प्रेम भी मशीनी होता जाएगा। उन्हें अपने-अपने तरीकों से कहने और सबसे जरूरी, सुनने दिया जाए।<br />अलबत्ता, इस प्रेम को पाने के लिए खुद को तिरोहित करना ही पडता है। कबीर कहते हैं-'जो मैं हूं तो तू नहीं, जो तू है, मैं नाहिं, प्रेम गली अति सांकरी जामें दोउ न समाहिं।' और इकबाल भी-'मंजिले-गम से गुजरना तो था आसां 'इकबाल', इश्क तो नाम है खुद ही से गुजर जाने का।' यह 'खुद ही से गुजरना' सरल नहीं होता और इसलिए प्रेम भी 'खाला का घर' ही बना रह जाता है। हिसाबी-किताबी लोग इसीलिए प्रेम में होते हुए भी समाज और संसार की परवाह करने में लगे रहते हैं और कई बार जीवन-भर अपने प्रेम को अभिव्यक्त तक नहीं कर पाते।<br />भील आदिवासियों में गाया जाने वाला गायणा नर्मदा के समुद्र प्रेम की कहानी भी कहता है। इसमें प्रेम में डूबी नर्मदा का, समुद्र यानि डूडा हामद से मिलने जाने का वर्णन है। यह उद़दात्त प्रेम का अद़भुद नमूना है। 'मोहब्बत में खयाल-ए-मंजिलो-साहिल है नादानी, जो इन राहों में लुट जाए वही तकदीर वाला है।'<br />इस सब में कबीर को भी सुनें-'अकथ कहानी प्रेम की कछु कही न जाए, गूंगे केरी सर्करा, खाए और मुस्काए।'<br /><br />तुमने मेरे बेहद प्रिय विषय को छेडा तो इतनी लंबी कहानी हो गई।<br /><br />अब बस।<br /><br />राकेश।Unknownhttps://www.blogger.com/profile/05295101003563194810noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-888087068041576402010-03-30T06:48:15.802-07:002010-03-30T06:48:15.802-07:00मनुष्य की प्रकति उसका स्वभाव .....उसके एक्सपो...मनुष्य की प्रकति उसका स्वभाव .....उसके एक्सपोज़र ...उसके आस पास के वातावरण पर निर्भर करता है ..यही कारण है के गुजरात ओर मुंबई की लड़की ओर यू पी की लड़की के अपने आप को एक्सप्रेस करने के तरीके में फर्क होता है......कई चीजों में लडको में भी ...<br />हाँ" आई लव यू "कहकर प्यार करने का रिवाज अभी चलन में है.....धीरे धीरे इसका इन्फेक्शन फैलेगा ....शायद अपनी फीलिंग्स को दबाना पुरानी पीढ़ी के संस्कारों में है .तभी तो पिता भी कहाँ बेटो को आई लव यू कहते है .....<br />प्रियंकर जी की टिप्पणी ..... इस पोस्ट को नया अर्थ देती है ..खुद हमारी यू पी की झिझक को गुजरात के उन्मुक्त स्वतन्त्र माहौल ने तोडा था ....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-22075726244725008562010-03-30T05:06:30.672-07:002010-03-30T05:06:30.672-07:00कई बार झिझक और संकोच हमारे मुंह पर ताला मार देता ह...कई बार झिझक और संकोच हमारे मुंह पर ताला मार देता है....जिससे लाख चाहते हुए भी हम अपना प्यार नहीं जाता पाते हैं! पर सचमुच किसी को अपने दिल की बात बताना और उससे भी सुनना की वो भी हमें प्यार करते हैं....दिल को ख़ुशी से भर देता है!pallavi trivedihttps://www.blogger.com/profile/13303235514780334791noreply@blogger.com