tag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post4379403333149285119..comments2023-06-07T05:50:29.305-07:00Comments on बेदखल की डायरी: Why loneliness matters so much?मनीषा पांडेhttp://www.blogger.com/profile/01771275949371202944noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-80736985713780545902013-06-22T01:06:18.293-07:002013-06-22T01:06:18.293-07:00This comment has been removed by the author.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-29104654831353376672013-06-22T00:46:21.074-07:002013-06-22T00:46:21.074-07:00This comment has been removed by the author.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-1967499309720546042011-03-04T01:27:46.212-08:002011-03-04T01:27:46.212-08:00वाकई, अपने तईं कुछ भी करना बहुत कठिन होता है...वाकई, अपने तईं कुछ भी करना बहुत कठिन होता है...Rajendra Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/10637332938400702214noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-15512637108528246652011-02-15T23:45:49.089-08:002011-02-15T23:45:49.089-08:00कैसे देखता है कोई ..क्यों कोई ..एक तस्वीर देख कर.....कैसे देखता है कोई ..क्यों कोई ..एक तस्वीर देख कर...पहाड़ों दर्रों और सागरों की छलांग लगा कर..लाँघ कर पहुचता है....किसी और देश को देखने..शानदार पोस्ट..anjule shyamhttps://www.blogger.com/profile/01568560988024144863noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-16938409150434952702011-02-10T21:21:44.890-08:002011-02-10T21:21:44.890-08:00muktiji ne sahi kaha -taaji hawa ka jhoka..,dekha ...muktiji ne sahi kaha -taaji hawa ka jhoka..,dekha apka kitne log intzar kar rahe the..PRAVEENhttps://www.blogger.com/profile/16941654660879451833noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-10349994092046857812011-02-08T03:32:19.462-08:002011-02-08T03:32:19.462-08:00काटो तो खून नहीं कसम से..काटो तो खून नहीं कसम से..सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-20555557808725434142011-02-07T06:30:29.561-08:002011-02-07T06:30:29.561-08:00हम जब अकेले होते हैं, तभी शायद विचारों की सबसे बड़...हम जब अकेले होते हैं, तभी शायद विचारों की सबसे बड़ी भीड़ में होते हैं। आपको पढ़ते हुए हर्फ दर हर्फ, लफ्ज़ दर लफ्ज़ ये बात और पुख्ता होती जाती है। फिर कोई अकेला क्यूं है? एक जवाब लेख की आखिरी पंक्तियों में भी है, लेकिन सवाल फिर भी अकेला है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16312720514784919531noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-2189822913547187582011-02-06T08:12:04.309-08:002011-02-06T08:12:04.309-08:00मनीषा, बहुत दिनों बाद बेदखल की डायरी पढ़कर बहुत अच्...मनीषा, बहुत दिनों बाद बेदखल की डायरी पढ़कर बहुत अच्छा लगा। पता नहीं इतने दिन तक बिना लिखे कैसे रह पाती। कभी-कभी मुझे लगता है कि नहीं लिखना भी अपने-आपको सजा देने जैसा नहीं हैं........जबकि तुम इतना अच्छा लिखती हो.... अभी आउटलुक का महिला विशेषंाक देखा, तो बस तुम्हारी याद आ गई। पर... लेकिन.. परन्तु..... अब क्या कह सकते हैं ?????NO SELFIE PLEASE https://www.blogger.com/profile/03435888200596664442noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-5943523541524445112011-02-06T05:54:25.268-08:002011-02-06T05:54:25.268-08:00तुम्हें पढ़ना एक ताजी हवा के झोंके सा लगता है. लिख...तुम्हें पढ़ना एक ताजी हवा के झोंके सा लगता है. लिखती रहो. देखो कितने लोग़ इंतज़ार कर रहे थे तुम्हारा.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-18164612437889460542011-02-06T05:45:33.254-08:002011-02-06T05:45:33.254-08:00मेरी एक गज़लनुमा रचना की पंक्तियाँ हैं-
उसे सारा ...मेरी एक गज़लनुमा रचना की पंक्तियाँ हैं- <br /><br />उसे सारा ज़माना चाहिए था<br /> <br />मगर घर तो बनाना चाहिए था<br /> <br />यही आवारगी की दास्ताँ हैं <br />कहीं कोई ठिकाना चाहिए थावीरेन्द्र जैनhttps://www.blogger.com/profile/03394460991280336978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-84507360380734874822011-02-06T04:28:33.295-08:002011-02-06T04:28:33.295-08:00थैंक्स ...वापस आने के लिए ... आपके लेखन का एक बड़ा...थैंक्स ...वापस आने के लिए ... आपके लेखन का एक बड़ा हिस्सा अपने से जुदा लगता है ,बहुत इंतज़ार कियाsonalhttps://www.blogger.com/profile/03825288197884855464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-44833407700223652532011-02-06T03:58:07.406-08:002011-02-06T03:58:07.406-08:0010 महीने के बाद अपने ब्लाग में दखल देने के लिए शुक...10 महीने के बाद अपने ब्लाग में दखल देने के लिए शुक्रिया। हर बार की भांति इस बार भी आपने बेहतरीन लिखा है। किताबों से प्यार करना कोई आपसे सीखे।falsafahttps://www.blogger.com/profile/02673874188026337498noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-17313493224911512832011-02-06T01:36:22.960-08:002011-02-06T01:36:22.960-08:00अपने बारे में लिखने के लिये अन्दर झाँकना पड़ता है,...अपने बारे में लिखने के लिये अन्दर झाँकना पड़ता है, तब पता लगता है कि हम कितना कृत्रिम जीवन जी रहे हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-47090365773965799272011-02-06T01:00:43.733-08:002011-02-06T01:00:43.733-08:00चलो, जयपुर जाने के बहाने ही सही तुम लौटीं तो सही अ...चलो, जयपुर जाने के बहाने ही सही तुम लौटीं तो सही अपनी दुनिया में मनीषा. अखबार की दुनिया के पचड़ों से निकलकर एकांत तलाश पाना सचमुच एक महायुद्ध ही है. जिसे तुम जीत रही हो...बढिय़ा लिखा. और लिखो.Pratibha Katiyarhttps://www.blogger.com/profile/08473885510258914197noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-23712625278876116772011-02-05T23:39:23.856-08:002011-02-05T23:39:23.856-08:00Hey ... You really write well !!
A beautiful post...Hey ... You really write well !!<br /><br />A beautiful post...अमिताभ मीतhttps://www.blogger.com/profile/06968972033134794094noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-38864008501181521212011-02-05T23:17:03.509-08:002011-02-05T23:17:03.509-08:00"अखबार के लिए लिखना कितना आसान है और अपने लिए..."अखबार के लिए लिखना कितना आसान है और अपने लिए लिखना कितना मुश्किल। जब पता हो कि आठ बजे पेज छूटना है तो उसके पहले ऑटोमैटिकली आइडियाज बरसने लगते हैं, एक से दूसरी पंक्ति जुड़ती जाती है और लो हो गई स्टोरी तैयार। लेकिन अपने दिल के लिए, अपनी खुशी और अपने एकांत के लिए लिखना उतना ही उलझाने वाला होता है।"<br /><br />बतौर एक पत्रकार पूरे तौर पर इस बात से सहमत हूँ.<br /><br />इतना अकेलापन कि बस आप ही आप हों, आपके साथ आपके दुःख, सपने, दफ्तर की बातें भी ना हो बहुत ही कम नसीब होता है, और जब नसीब होता है तो मन को एक अलग ही संतुष्टि मिलती है.<br />रश्क हो रहा है कि आप जयपुर बुक फेस्टिवल में हो आईं. उधर रविश जी ने भी अपने ब्लॉग पर इस बुक फेस्टिवल और जयपुर को अपने नज़रिए से लिखा है.<br /><br />बड़े दिनों के बाद बेदखल की डायरी में आपका दखल अच्छा लगा. दूसरी किश्त के बाद फिर लम्बे समय के लिए गायब न हो जाईयेगा.Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-66595063368451489302011-02-05T22:41:08.753-08:002011-02-05T22:41:08.753-08:00loved it...i am a big fan of urs now...lovely..loved it...i am a big fan of urs now...lovely..khushhttps://www.blogger.com/profile/12475798063022567723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-61262766871164214102011-02-05T21:30:08.978-08:002011-02-05T21:30:08.978-08:00बहुत सुंदर, जैसे कि अपने लिए लिखना !बहुत सुंदर, जैसे कि अपने लिए लिखना !के सी https://www.blogger.com/profile/03260599983924146461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-31624162005646866422011-02-05T19:25:28.326-08:002011-02-05T19:25:28.326-08:00हां अपने दिल के लिए लिख पाना सहज कहां होता है .......हां अपने दिल के लिए लिख पाना सहज कहां होता है ....मगर प्रवाह गजब होता है । बेदखल की डायरी हमेशा ही बांधे रखती है पाठक को ..और ...नहीं चलिए फ़िर कभी । जारी रखिएअजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-86915716257320926152011-02-05T19:22:39.443-08:002011-02-05T19:22:39.443-08:00पढ़ा ,एज यूंजुअल पैनी धारदार लेखनी ...मगर वाक्यों क...पढ़ा ,एज यूंजुअल पैनी धारदार लेखनी ...मगर वाक्यों का अलायिन्मेंट तो ठीक कर लें ,<br />या जिन्दगी की तरह ये भी बेतरतीब ही बनी रहे :) या फिर अकेलेपन और बेतरतीबपने के चोली -दामन साथ का फेविकोल जोड़ हो गया हो!हेल्प आउट योरसेल्फ यंग लेडी !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.com