tag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post6079969538131937710..comments2023-06-07T05:50:29.305-07:00Comments on बेदखल की डायरी: छल को सजाने के हजारों श्रृंगारमनीषा पांडेhttp://www.blogger.com/profile/01771275949371202944noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-82024834842043692192010-02-22T11:36:57.998-08:002010-02-22T11:36:57.998-08:00हम्म... जब वी मेट मे लडकी बाम्बे मे थी काफ़ी साल.....हम्म... जब वी मेट मे लडकी बाम्बे मे थी काफ़ी साल..यहा कि आज़ाद हवा लग गयी थी उसे..हम भी एक दो भागे हुए लोगो की शादिया यहा देख चुके है... कभी कभार हम नावेल के पात्रो मे ऐसे खो जाते है कि अहसास ही नही होता की ऐसे पात्र वास्तविकता मे नही होते...फ़िर कोई ऐसा मिल जाता है..फ़िर वो चला जाता है..हमे फ़िर से नावेल की दुनिया मे छोडकर..और नये पात्रो को ढूढने के लिये..Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)https://www.blogger.com/profile/01559824889850765136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-17482175745266644182007-11-14T21:04:00.000-08:002007-11-14T21:04:00.000-08:00जो फिल्मों में होता है वह आम जिन्दगी में नहीं होता...जो फिल्मों में होता है वह आम जिन्दगी में नहीं होता है। मगर न जाने क्यों ये दुनिया "सपनो की सौदागर" है। यहां हर कोई अपने आप को "खोने" के लिये पैसा,शोहरत,शराब,शबाब,शान की मायावी दुनिया में जीता है,और अपने चेहरों पर "नकाब" लगाकर घूमता है।Atul Chauhanhttps://www.blogger.com/profile/13418818413795828946noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-49693872205492022272007-11-14T09:09:00.000-08:002007-11-14T09:09:00.000-08:00अच्छा है। सिनेमा यहीं देख लिया। :)अच्छा है। सिनेमा यहीं देख लिया। :)अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-87174185101290027712007-11-13T02:00:00.000-08:002007-11-13T02:00:00.000-08:00आते ही छा गईं बिल्कुल!आते ही छा गईं बिल्कुल!चंद्रभूषणhttps://www.blogger.com/profile/11191795645421335349noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-70555350327524149162007-11-12T22:05:00.000-08:002007-11-12T22:05:00.000-08:00इसी चिरकुटाई का नाम कमर्शियल सिनेमा है। लोग इसे जा...इसी चिरकुटाई का नाम कमर्शियल सिनेमा है। लोग इसे जानते-बूझते हुए ही चिरकुटाई का आनन्द लेने जाते हैं।Pratik Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/02460951237076464140noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-65499123305012162482007-11-12T20:51:00.000-08:002007-11-12T20:51:00.000-08:00आपकी पीछे की रचनाऎ पढीं! धरती से अपदस्थ आधी आबादी ...आपकी पीछे की रचनाऎ पढीं! धरती से अपदस्थ आधी आबादी का सच उकेरने के इस पारदर्शी प्रयास को जारी रखिए!और..धरती पर काबिज बाकी की आधी आबादी को नींद से जगाने का वक्त आ पहुंचा है,...Neelimahttps://www.blogger.com/profile/14606208778450390430noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-58009877677550090432007-11-12T20:38:00.000-08:002007-11-12T20:38:00.000-08:00मैने फिल्म नहीं देखी है. लेकिन समझ में आ गया कि आप...मैने फिल्म नहीं देखी है. लेकिन समझ में आ गया कि आप क्या कहना चाहती हैं. फिल्म सभी अच्छे संयोगो को कल्पना के माध्यम से जोड़ने का माध्यम है.जीवन की कटु सच्चाई दिखाने वाली फिल्म बॉक्स ऑफिस पर नहीं बिकती. आपकी बात से सहमत हूँ कि असल ज़िन्दगी ऎसी नहीं होती लेकिन असल जिन्दगी देखने जाता कौन है फिल्म में वहाँ तो लोग असल जिन्दगी भूलने जाते हैं ना.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-86644025068852476172007-11-12T20:19:00.000-08:002007-11-12T20:19:00.000-08:00मनीषा , शुरुआत हुई , बहुत अच्छे । आपको पढ़ते रहेंगे...मनीषा , शुरुआत हुई , बहुत अच्छे । आपको पढ़ते रहेंगे ।Pratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-11207286787842092532007-11-12T20:15:00.000-08:002007-11-12T20:15:00.000-08:00मुझे फिल्म अच्छी लगी थी एक मनोरंजन की दृष्टि से क्...मुझे फिल्म अच्छी लगी थी एक मनोरंजन की दृष्टि से क्योंकि मुझे पहले से ही पता था कि ये सच्चाई से कोसों दूर होगी। फिल्में देखते समय हम भी यही बात कर रहे थे कि अगर रियल में कोई लड़की भागती, पहले तो वो ट्रैन से ऐसे उतरती नही किसी अजनबी के लिये दूसरा उस पर ना जाने कितने गिद्ध टूट पड़ते। लेकिन फिर बात वही अटक जाती है कि फिल्म है इसमें ये सब कहाँ होगा। सच्चाई के करीब फिल्में ना दर्शकों की सहानुभूति पाती हैं ना समीक्षकों की।Tarunhttps://www.blogger.com/profile/00455857004125328718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-48399371059500507242007-11-12T18:13:00.000-08:002007-11-12T18:13:00.000-08:00आपकी डाटरी पहले भी पढ़ी है. इसलिए आपके हॉस्टल की ल...आपकी डाटरी पहले भी पढ़ी है. इसलिए आपके हॉस्टल की लड़कियों को पहचानने में दिक़्क़्त नहीं हुई. फिल्म के बहाने आपने अहम सवाल उठाए हैं. आपका अपना ब्लॉग देखकर अच्छा लगा.Bhupenhttps://www.blogger.com/profile/05878017724167078478noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-92073417466913116822007-11-12T06:08:00.000-08:002007-11-12T06:08:00.000-08:00मनीषाजी सच्ची की जिंदगी इत्ती मारक है कि कुछ देर त...मनीषाजी सच्ची की जिंदगी इत्ती मारक है कि कुछ देर तो सपने देखने दें। सच्ची की जिंदगी की चिरकुटईयां ये बच्चियां झेल ही लेंगी, लुच्चे प्रेमी,टुच्चे पति, घर की ईएमआई, सास की कुटिलाई, सच्चाई तो कदम कदम पर काटने को खड़ी है जी। थोड़ी देर के लिए अगर झूठ के सहारे ही सही, मायावी दुनिया की मौज ले लेती हैं, तो लेने दीजिये। <BR/>वैसे आजकल की बालिकाएं इत्ती भोली भाली नहीं होतीं। या शायद आपके तजुरबे कुछ अलग हों। फिलिम तो ठीक ही ठाक है जी। मतलब मैंने देखी हीं है। पर विद्वानों से तारीफ सुनी है।ALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-16719873918078423122007-11-12T05:06:00.000-08:002007-11-12T05:06:00.000-08:00कभी कभी काल्पनिक दुनिया में जीने का भी अलग मजा है....कभी कभी काल्पनिक दुनिया में जीने का भी अलग मजा है. वरना इस दुनिया में किस पर विश्वास करे और किस पर नही...कुछ भी कहना मुश्किल हैं....Ashish Maharishihttps://www.blogger.com/profile/04428886830356538829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4012272906206136067.post-29196570356357934442007-11-11T03:54:00.000-08:002007-11-11T03:54:00.000-08:00मुझे फ़िल्म पसन्द आई थी.. पर आप की राय भी वाजिब है....मुझे फ़िल्म पसन्द आई थी.. पर आप की राय भी वाजिब है..अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.com